आज कैंसर विश्व में मृत्यु का दूसरा सबसे प्रमुख कारण है। अनुमान है कि 2030 तक यह मृत्यु का पहला सबसे प्रमुख कारण बन जाएगा। कैंसर के कई प्रकार होते हैं, स्पाइनल ट्युमर या स्पाइल कैंसर इन्हीं में से एक है। स्पाइनल ट्युमर के मामले कम देखे जाते हैं, लेकिन इसे कैंसर का एक गंभीर प्रकार माना जाता है। स्पाइनल ट्युमर, स्पाइनल कार्ड/स्पाइनल कॉलम के भीतर या आसपास उतकों का असामान्य विकास है। स्पाइनल ट्युमर के कारण दर्द, न्युरोलॉजिकल समस्याएं और कभी-कभी लकवा भी मार सकता है। स्पाइनल ट्युमर जीवन के लिए घातक होता है और स्थायी विकलांगता का कारण बन सकता है। तो जानिए स्पाइनल ट्युमर और इसकी गंभीरता के बारे में।
स्पाइनल ट्युमर
कैंसरग्रस्त कोशिकाओं का स्पाइनल कैनाल या स्पाइन की हड्डियों में विकसित होना, स्पाइल ट्युमर कहलाता है। जब ट्युमर स्पाइनल कार्ड या स्पाइनल कार्ड की कवरिंग (ड्युरा) में विकसित होता है तो उसे स्पाइनल कार्ड ट्युमर कहते हैं। इसे इंट्राड्युरल ट्युमर भी कहा जाता है। जब ट्युमर स्पाइन या मेरूदंड की हड्डियों में विकसित होता है, उसे वर्टिब्रल ट्युमर कहते हैं। कईं दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं के चलते भी स्पाइन में कैंसर विकसित हो सकता है
प्राइमरी स्पाइनल ट्युमर्स
जो ट्युमर सीधे स्पाइन में विकसित होते हैं, उन्हें प्राइमरी स्पाइनल ट्युमर्स कहते हैं। ये थोड़े दुर्लभ होते हैं, और अधिकतर कैंसर-रहित होते हैं। कैंसरयुक्त ट्युमर भी स्पाइन में विकसित होते हैं, लेकिन सेकंडरी स्पाइल ट्युमर्स के मामले अधिक देखे जाते हैं।
सेकंडरी स्पाइनल ट्युमर्स
जब कैंसर एक भाग में विकसित होकर स्पाइन आदि तक पहुंच जाता है, तो उसे मेटास्टैसाइज़्ड या सेकंडरी स्पाइनल ट्युमर कहते हैं। फेफड़ों, छाती, प्रोस्टेट और हड्डियों के कैंसर के स्पाइन तक पहुंचने की आशंका अधिक होती है।
लक्षण
स्पाइनल कार्ड ट्युमर के कारण अलग-अलग लक्षण दिखाई दे सकते हैं, विशेषरूप से जब ट्युमर विकसित होता है। ट्युमर, स्पाइनल कार्ड, नर्व रूट्स (तंत्रिकाओं की जड़ें), रक्त नलिकाओं या मेरूदंड की हड्डियों को प्रभावित कर सकता है। इसके कारण निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं:
ट्युमर विकसित होने पर ट्युमर वाले स्थान पर दर्द होना।
कमरदर्द, जो शरीर के दूसरे भागों तक फैल जाता है।
सर्दी और गर्मी के प्रति कम संवेदनशीलता महसूस करना।
बॉउल और ब्लैडर की कार्यप्रणाली प्रभावित होना।
चलने में परेशानी होना, कभी-कभी संतुलन न बन पाने के कारण गिर जाना।
संवेदना कम होना या मांसपेशियां कमजोर होना, विशेषरूप से हाथों या पैरों की।
कमरदर्द, स्पाइनल ट्युमर का सबसे प्रारंभिक लक्षण है। दर्द कमर से नितंबों, पैरों या बांहों तक फैल सकता है। समय के साथ दर्द और बढ़ता जाता है।
तो डॉक्टर से संपर्क करें
कमरदर्द के कई कारण हैं, और अधिकतर कमरदर्द स्पाइल ट्युमर के कारण नहीं होते हैं। लेकिन, स्पाइनल ट्युमर के लिए अर्ली डायग्नोसिस और उपचार महत्वपूर्ण है, इसलिए डॉक्टर से संपर्क करें, अगर कमरदर्द
लगातार बना रहता है, और समय के साथ गंभीर हो जाता है।
रात में और गंभीर हो जाता है।
कैंसर के दूसरे लक्षण जैसे जी मचलाना, उल्टी होना या चक्कर आना दिखाई देते हैं।
मांसपेशियां लगातार कमजोर होना या हाथों या पैरों में सुन्नपन महसूस होना।
कारण
यह स्पष्ट नहीं है कि अधिकतर स्पाइनल ट्युमर क्यों विकसित होते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि विकृत जींस इसमें प्रमुख भूमिका निभाते हैं। लेकिन यह पता नहीं है कि यह विकृत जींस विरासत में मिलते हैं या समय के साथ विकसित होते हैं। कुछ निश्चित रसायनों का एक्सपोज़र भी स्पाइनल ट्युमर का कारण बन सकता है।
डायग्नोसिस
स्पाइनल मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग (एमआरआई)
एमआरआई में शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड और रेडियो तरंगों का इस्तेमाल रीढ़ की हड्डी, स्पाइनल कार्ड और तंत्रिकाओं की सटीक छवियां लेने के लिए किया जाता है।
कम्प्युटराइज़ टोमोग्राफी (सीटी)
स्पाइन की विस्तृत छवियां लेने के लिए सीटी स्कैन किया जाता है।
बायोप्सी
स्पाइनल ट्युमर का वास्तविक प्रकार जानने के लिए बायोप्सी की जाती है। इसमें ट्युमर से थोड़े से उतक लेकर उनकी जांच की जाती है।
उपचार
इसके उपचार के लिए सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी या दूसरी दवाईयों का इस्तेमाल किया जाता है।
सर्जरी
ट्युमर को निकालने के लिए सर्जरी की जाती है, लेकिन यह विकल्प तब चुना जाता है, जब स्पाइनल कार्ड या तंत्रिकाओं को अधिक क्षति पहुंचने की आशंका नहीं होती है। नई तकनीकों ने न्युरोसर्जनों के लिए ट्युमर तक पहुंचने को आसान बना दिया है। माइक्रो सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले उच्च शक्ति वाले माइक्रोस्कोपों ने ट्युमरों और स्वस्थ्य उतकों में विभेद करने को आसान बना दिया है।
रेडिएशन थेरेपी
रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल सर्जरी के बाद ट्युमर के बचे हुए भाग को निकालने के लिए किया जाता है। या उस ट्युमर के उपचार के लिए किया जाता है, जिसे ऑपरेशन से निकालना संभव नहीं होता है।
कीमोथेरेपी
कीमोथेरैपी में शक्तिशाली रसायनों का उपयोग किया जाता है जो प्रोटीन या डीएनए को क्षतिग्रस्त करके कोशिका विभाजन में हस्तक्षेप करते हैं, जिससे कैंसरग्रस्त कोशिकाएं मर जाती हैं।
जटिलताएं
स्पाइनल ट्युमर, स्पाइनल नर्व को दबा सकता है, जिससे ट्युमर के नीचे के भाग की गति और संवेदनाएं प्रभावित होती हैं। तंत्रिकाएं स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। ब्लैडर और बॉउल की कार्यप्रणाली में भी परिवर्तन आ जाता है।
अगर शुरूआत में ही इसकी पहचान हो जाए और तुरंत उपचार शुरू कर दिया जाए तो तंत्रिकाओं को पहुंचने वाले नुकसान को रोका जा सकता है।
-डॉ. मनीष वैश्य,
न्युरो सर्जरी विभाग, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, वैशाली, गाजियाबाद