भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्त पोषित एक स्वायत्त संस्थान डीबीटी- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (एनआईबीएमजी), कल्याणी ने मुंह के कैंसर में जीनोमिक बदलाव का एक डेटाबेस तैयार किया है जो दुनिया में अपने प्रकार का पहला डेटाबेस है। एनआईबीएमजी ने इस डेटाबेस को सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराया है।
डीबीजेनवोक ओरल कैंसर के जीनोमिक वेरिएंट्स का ब्राउज करने योग्य ऑनलाइन डेटाबेस है और इसे मुफ्त उपलब्ध कराया गया है। डीबीजेनवोक की पहली रिलीज में शामिल हैं (i) 2.4 लाख सोमैटिक एवं जर्मलाइन वेरिएंट्स जो 100 भारतीय ओरल कैंसर रोगियों के होल एक्सोम सीक्वेंस और भारत के 5 ओरल कैंसर रोगियों के होल जीनोम सीक्वेंस से प्राप्त हुए हैं। (ii) 220 रोगियों के नमूने से सोमैटिक वेरिएशन डेटा अमेरिका से लिए गए हैं और टीसीजीए- एचएनएससीसी परियोजना द्वारा उनका विश्लेषण किया गया है। (iii) हाल ही में प्रकाशित पीर-रिव्यू प्रकाशनों से 118 रोगियों के वेरिएश्न डेटा को मैन्युअल तरीके से तैयार किया गया है। समुदाय द्वारा अनुमोदित सर्वोत्तम प्रथा प्रोटोकॉल द्वारा वेरिएंट की पहचान की गई और कई विश्लेषणात्मक पाइपलाइन का उपयोग करके टिप्पणी सहित उसे नोट किया गया।
डीबीजेनवोक केवल जीनोमिक वेरिएंट्स की एक सूची नहीं है बल्कि इसमें एक दमदार सर्च इंजन भी समाहित है। यह एक उचित सीमा तक सांख्यिकीय एवं जैव सूचनात्मक विश्लेषण को ऑनलाइन करने की भी अनुमति देता है जिसमें ओरल कैंसर में संबद्ध परिवर्तित मार्ग में वेरिएंट की पहचान करना शामिल है।
इस रिपोजिटरी को भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के विभिन्न क्षेत्रों के नए ओरल कैंसर रोगियों के विभिन्न डेटा के साथ सालाना अपडेट किया जाएगा। इसमें ओरल कैंसर अनुसंधान में प्रगति के लिए मदद करने की क्षमता है और यह वेरिएंट्स का महज कैटलॉग तैयार करने के बजाय उनके महत्व को समझने की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम होगा।
ओरल कैंसर भारत में पुरुषों में पाया जाने वाला कैंसर का सबसे प्रचलित रूप है जो मुख्य रूप से तंबाकू चबाने के कारण होता है। तंबाकू चबाने से ओरल कैविटी में कोशिकाओं की आनुवंशिक सामग्री में परिवर्तन होता है। ये परिवर्तन (म्यूटेशन) ओरल कैंसर का कारण बनते हैं। उन अनुवांशिक परिवर्तनों की पहचान करने के लिए अनुसंधान जारी है जो ओरल कैंसर को संचालित करते हैं। इस तरह के संचालक परिवर्तन आबादी के बीच परिवर्तनशील हो सकते हैं।
डीबीटी
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने कृषि, स्वास्थ्य सेवा, पशु विज्ञान, पर्यावरण और उद्योग में विस्तार एवं अनुप्रयोग के माध्यम से भारत में जैव प्रौद्योगिकी परिवेश के विकास को बढ़ावा दिया है।
एनआईबीएमजी
जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तत्वावधान में भारत सरकार द्वारा एक स्वायत्त संस्थान के रूप में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (एनआईबीएमजी) की स्थापना की गई है। यह भारत का पहला ऐसा संस्थान है जो स्पष्ट तौर पर बायोमेडिकल जीनोमिक्स में अनुसंधान, प्रशिक्षण, अनुवाद एवं सेवा और क्षमता निर्माण के लिए समर्पित है। यह भारत के पश्चिम बंगाल में कोलकाता के समीप कल्याणी में स्थित है।