वन विभाग, अलवर की ओर से आयोजित वेबिनार में बोले मुख्य वक्ता
घर-घर औषधि योजना के व्यापक प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से शनिवार को राज ऋषि कॉलेज और वन विभाग, अलवर के संयुक्त तत्वावधान में वेबिनार आयोजित किया गया। इस दौरान वक्ताओं ने योजना को राजस्थान सरकार की महत्वपूर्ण पहल बताते हुए कहा कि तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा और कालमेघ जैसे औषधीय पौधों का उपयोग संचारी और गैर संचारी रोगों के खिलाफ बेहद कारगर है।
बतौर मुख्य अतिथि वेबिनार को संबोधित करते हुए वन विभाग, जयपुर के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास) डॉ. दीप नारायण पाण्डेय ने घर-घर औषधि योजना को राजस्थान के प्रत्येक नागरिक की योजना बताते हुए कहा कि सबकी भागीदारी इसकी सफलता के लिए आवश्यक है। योजना के तहत औषधीय पौधों को नर्सरी में उगाकर तैयार किया गया है। उनका वितरण और उपयोग भी अलग-अलग स्तर पर होगा, इसलिए इन सभी का आपस में समन्वय होना आवश्यक है। डॉ. पाण्डेय ने योजना के तहत वितरित होने वाले पौधों को संचारी और गैर संचारी रोगों के खिलाफ बेहद कारगर बताते हुए कहा कि औषधीय पौधों का उपयोग सदैव वैद्य की सलाह से किया जाना बेहतर होता है।
इस दौरान डॉ. पाण्डेय ने स्पष्ट किया कि घर-घर औषधि योजना में शामिल चारों पौधों को 11,000 से अधिक रिसर्च पेपर और 350 क्लिनिकल ट्रायल्स पर आधारित प्रमाणित ज्ञान के बाद शामिल किया गया है। उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति के चेहरे पर स्वास्थ्य की मुस्कान लाने के साथ-साथ धरती के चेहरे पर हरियाली की मुस्कान लाने के लिए औषधीय पौधों को हर घर में उगाने का आह्वान किया।
अलवर के उप वन संरक्षक अपूर्व कृष्णा श्रीवास्तव ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से घर-घर औषधि योजना की रूपरेखा बताते हुए इसमें शामिल पौधों के महत्व, उनके उपयोग और रख-रखाव की जानकारी दी। आयुर्वेदिक औषधालय, अलवर के डॉ. पवन शेखावत ने औषधीय पौधों के चिकित्सीय गुणों की जानकारी देते हुए इन्हें आरोग्य प्रदान करने वाली औषधि बताया।
राज ऋषि कॉलेज के प्राचार्य डॉ. हुकुम सिंह ने भी योजना को आमजन के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि सरकार ने सही समय पर इसे शुरू किया है। कोरोना काल में इसकी उपयोगिता सभी के लिए महत्वपूर्ण रहेगी। वेबिनार का संचालन करते हुए राज ऋषि कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रामानंद यादव ने अतिथियों का परिचय दिया। वेबीनार से बड़ी संख्या में कॉलेज के विद्यार्थी उनके अभिभावक सहित अन्य ऑनलाइन जुड़े रहे।