नीति आयोग ने आज भारत में जिला अस्पतालों की प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट जारी कर दी है, जिसका शीर्षक जिला अस्पतालों के कामकाज में अपनाये जा रहे तौर-तरीके है। इस रिपोर्ट को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ इंडिया ने आपसी सहयोग से तैयार किया है। क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के एक घटक बोर्ड नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ने ऑन-ग्राउंड डेटा का सत्यापन किया है।
रिपोर्ट को नीति आयोग के सदस्य डॉ वी.के. पॉल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत, अपर सचिव डॉ राकेश सरवाल, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में अपर सचिव आरती आहूजा, भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ रोडरिको ओफ्रिन और क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष आदिल ज़ैनुलभाई की मौजूदगी में जारी किया गया।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने कहा कि यह रिपोर्ट देश भर में किए गए जिला अस्पतालों के कामकाज का पहला मूल्यांकन है। यह डेटा-संचालित शासन की ओर स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली में एक प्रमुख बदलाव का प्रतीक है और यह हमें स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने वाले समुदायों तथा लोगों के और भी करीब ले जाता है।
मूल्यांकन ढांचे में संरचना और आउटपुट के डोमेन में 10 प्रमुख प्रदर्शन संकेतक शामिल किये गए हैं। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कुल 707 जिला अस्पतालों ने इस मूल्यांकन में भाग लिया। वर्ष 2017-18 के स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) के आंकड़ों को इस कार्य के लिए आधार रेखा के रूप में इस्तेमाल किया गया है। इसके अनुसार अस्पतालों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है: छोटे अस्पताल (200 बिस्तरों से कम या उसके बराबर), मध्यम आकार के अस्पताल (201-300 बिस्तरों के बीच) और बड़े अस्पताल (300 बिस्तरों से अधिक)। रिपोर्ट 10 संकेतकों में प्रत्येक अस्पताल श्रेणी में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले जिला अस्पतालों के कुछ सर्वोत्तम क्रियाकलापों का दस्तावेजीकरण करती है।
कुल मिलाकर 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 75 जिला अस्पताल बिस्तर, मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ, कोर हेल्थ और डायग्नोस्टिक टेस्टिंग सेवाओं की उपलब्धता से लेकर बेड ऑक्यूपेंसी रेट और प्रति सर्जन सर्जरी की संख्या जैसे संकेतकों पर शीर्ष प्रदर्शन करने वाले के रूप में उभर कर सामने आये हैं।